राजकीय महाविद्यालय सलूणी में जल दिवस के उपलक्ष्य पर महाविद्यालय के प्राचार्य मोहिंद्र कुमार सलारिया ने एक अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया । इस आयोजन को आफलाइन और ऑनलाइन दोनों प्रकार से किया गया। कार्यक्रम में प्रिसिपल डा. मोहिंद्र कुमार सलारिया ने बताया कि पानी एक ऐसी धरोहर है जिसे आने वाली पीढ़ी के लिए संभाल कर रखना बहुत जरूरी है। पानी के बिना जीवन संभव नहीं है। हम शुरू से ही एक बात सुनते आ रहे हैं कि मनुष्य खाने के बिना तो रह सकता है, लेकिन पानी के बिना नहीं। यह शब्द अपने आप में पानी के महत्व को स्वयं सिद्ध कर देते हैं। इतिहास के प्राध्यापक डाक्टर सौरभ मिश्रा ने कहा कि अगर समाज में देखें तो पानी बचाने के बजाय व्यर्थ करने पर लोग तुले हुए हैं। वह पानी के महत्व को समझना छोड़ चुके हैं। दुनिया को पानी की जरूरत को समझाने के उद्देश्य से ही विश्व जल दिवस को मनाने की प्रथा शुरू हुई है।
डॉक्टर मोहिंद्र कुमार सलारिया ने बताया कि साल 1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित पर्यावरण व विकास के नजरिए से संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में विश्व जल दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी। इसका आयोजन पहली बार साल 1993 में 22 मार्च को हुआ था। डॉ मोहिंदर कुमार सलारिया ने विश्व जल दिवस 2024 की थीम “जल शांति के लिए” को और स्पष्ट करते हुए चर्चा को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। दुनिया के कई हिस्से में जल की कमी बनी रहती है। विकास के बढ़ते कदम की वजह से दिन-प्रतिदिन पानी के सीमित संसाधन है, उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसके साथ ही जरूरत से ज्यादा पानी की खपत हो रही है।
अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में संबोधित करते हुए उन्होंने बताया लेकिन जब जल संकट की बात आती है तो सबसे अधिक हैरानी इस बात पर होती है कि जब पृथ्वी के समस्त भूभाग का दो-तिहाई से भी अधिक भाग जल से आच्छादित है तो फिर इस धरातल पर रहने वालों के लिये समय के साथ यह दुर्लभ क्यों होता जा रहा है। दरअसल, पृथ्वी के लगभग 71% भूभाग पर फैले जल का केवल 3% भाग पीने के लायक है। इस 3% ताज़े पेयजल का दो-तिहाई से भी अधिक भाग ग्लेशियरों में है। इसके बाद मात्र 1% पानी विश्व की लगभग आठ अरब आबादी के दैनिक उपयोग के लिये शेष बचता है। अब यदि 71% जल से घिरे भूभाग में केवल 1% पानी मानव की पहुँच में हो और प्रयोग के लिये उपलब्ध हो तो दुनिया में जल संकट की गंभीरता का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों- भारत और चीन की आबादी को यदि एक साथ मिला दें तो दुनिया की लगभग तीन अरब आबादी साल में कम-से-कम दो से तीन महीने गंभीर जल संकट का सामना करने के लिये विवश है, इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक वर्ग मौजूद रहे। जिनमें डॉक्टर सौरव मिश्रा सहायक प्रोफेसर पिंकी देवी, सहायक प्रोफेसर गुरदेव सिंह, सहायक प्रोफेसर दिनेश कुमार, सहायक प्रोफेसर पंकज कुमार, और अंग्रेजी प्रवक्ता तेजेंद्र नेगी, शामिल रहे।