आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम’ के सम्पूर्णता अभियान के अंतर्गत विभागीय मानक संकेतकों में परिपूर्णता हासिल को लेकर चंबा ज़िला में कृषि विभाग ने किसानों के खेत- खलिहानों की निशुल्क मिट्टी जांच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध करवाने की कवायद शुरू की है। उप निदेशक, कृषि डॉ. कुलदीप धीमान बताते हैं कि ‘आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम’ के सम्पूर्णता अभियान में वितरित मृदा स्वास्थ्य कार्डों की संख्या का एक संकेतक कृषि विभाग से सम्बंधित है। सम्पूर्णता अभियान के तहत ज़िला के सभी किसानों को निशुल्क मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध करवाए जाएंगे। नीति आयोग के दिशा-निर्देशानुसार यह अभियान 30 सितम्बर 2024 तक चलेगा । कृषि उपनिदेशक का कहना है कि किसानों को कृषि उपज का उचित प्रतिफल मिले इसके लिए बहुत से पहलू महत्वपूर्ण रहते हैं। इनमें मृदा परीक्षण की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है । किसानों को अपने खेत की मिटटी की सेहत के बारे में जानकारी प्राप्त होने के साथ-साथ आवश्यक पोषक तत्वों की कमी या किसी भी विशेष प्रकार के असंतुलन के बारे में पता चलता है।
इस जानकारी से खेतों में सही मात्रा में उर्वरक डालने से एक तो पैदावार में वृद्धि होती है, वहीं दूसरी और उर्वरक लागत में भी कमी आती है। इससे किसान उत्पादक पोषक तत्वों के बहाव और संबंधित पर्यावरणीय समस्याओं के जोखिम को भी कम कर सकते हैं । उनका कहना है कि अधिकतर अनाज फसलों की जड़ें 6 इंच गहरी मिट्टी की परत तक पोषक तत्व प्राप्त करती हैं। इसलिए मिट्टी की सतह से लेकर 6 इंच की गहराई तक की बराबर मात्रा में मिट्टी का नमूना लिया जाता है। किसानों को सलाह देते हुए उनका कहना है कि खेत की उपजाऊ क्षमता जानने तथा निशुल्क मिट्टी परीक्षण के लिए कृषि विभाग के नजदीकी कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है। किसान खुद अपने खेत की मिटटी का नमूना लेकर परीक्षण के लिए कृषि विभाग के कार्यालय में जमा करवा सकते हैं I उनका यह भी कहना है कि सामन्यता कृषि अधिकारी किसानों के खेतों में जाकर परीक्षण के लिए मिट्टी के नमूने लेते हैं और प्रयोगशाला में परिक्षण के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलव्ध करवाते हैं। उन्होंने किसानों से यह भी आग्रह किया है कि वे अपने खेतों की मिटटी का नमूना परिक्षण के लिए कृषि विभाग में जमा करवाकर नीति आयोग के सम्पूर्णता अभियान में अपनी हिस्सेदारी सुनश्चित कर सकते है ।
किसान ऐसे ले मिट्टी का नमूना
इस जानकारी से खेतों में सही मात्रा में उर्वरक डालने से एक तो पैदावार में वृद्धि होती है, वहीं दूसरी और उर्वरक लागत में भी कमी आती है। इससे किसान उत्पादक पोषक तत्वों के बहाव और संबंधित पर्यावरणीय समस्याओं के जोखिम को भी कम कर सकते हैं । उनका कहना है कि अधिकतर अनाज फसलों की जड़ें 6 इंच गहरी मिट्टी की परत तक पोषक तत्व प्राप्त करती हैं। इसलिए मिट्टी की सतह से लेकर 6 इंच की गहराई तक की बराबर मात्रा में मिट्टी का नमूना लिया जाता है। किसानों को सलाह देते हुए उनका कहना है कि खेत की उपजाऊ क्षमता जानने तथा निशुल्क मिट्टी परीक्षण के लिए कृषि विभाग के नजदीकी कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है। किसान खुद अपने खेत की मिटटी का नमूना लेकर परीक्षण के लिए कृषि विभाग के कार्यालय में जमा करवा सकते हैं I उनका यह भी कहना है कि सामन्यता कृषि अधिकारी किसानों के खेतों में जाकर परीक्षण के लिए मिट्टी के नमूने लेते हैं और प्रयोगशाला में परिक्षण के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलव्ध करवाते हैं। उन्होंने किसानों से यह भी आग्रह किया है कि वे अपने खेतों की मिटटी का नमूना परिक्षण के लिए कृषि विभाग में जमा करवाकर नीति आयोग के सम्पूर्णता अभियान में अपनी हिस्सेदारी सुनश्चित कर सकते है ।
किसान ऐसे ले मिट्टी का नमूना
किसान मिट्टी का नमूना लेते समय यह ध्यान दें कि एक एकड़ जमीन में 7 -8 ऐसे स्थान चिन्हित करें जहां गोबर का ढेर न लगा हो और न ही नजदीक कोई पेड़ हो।
ऐसे स्थान पर पहले मिट्टी की सतह से घास-पत्तियां आदि साफ कर लें। फावड़े से 6 इंच गहरायी तक वी आकार (V) का गड्ढा बनाएं I इसके पश्चात 7 -8 स्थानों से वी आकार के गड्ढ़े में ऊपर से नीचे तक एक इंच मोटी परत काट लें । इस मिट्टी को पूरी तरह मिलाकर इसमें से आधा किलो मिट्टी निकाल कर कपड़े के थैले में डाल कर परीक्षण के लिए नजदीकी कृषि विभाग के कार्यलय में जमा करवा दें।