चंबा के चमीनू स्थित एचटूओ आनंदम में शुक्रवार को दोपहर दो से चार बजे तक लिखणू कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। पारंपरिक लिखणू कार्यशाला का आयोजन एचटूओ आनंदम, परिवर्तन, पहचान, चंबा री-डिस्कवर्ड, उमंग महिला ग्राम संगठन तथा गाब्दिका आदि स्वयं सहायता समूहों की ओर से किया जाएगा। इसमें पद्मश्री विजय शर्मा की ओर से लिखणू कला के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। इसके साथ दिवाली को लेकर ग्रामीणों को घरों के साथ-साथ गांव को स्वच्छ बनाने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।
यह जानकारी एचटूओ आनंदम के कार्यशाला आयोजित रेणू शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि लिखणू का इस्तेमाल दिवाली सहित अन्य त्योहारों व शुभ कार्य के अवसर पर किया जाता है। लिखणू एक प्रकार की कला है। दिवाली से पूर्व इस कला को आज की युवा पीढ़ी को सिखाने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। लिखणू कला से चित्र तैयार करने के लिए सबसे पले गेहूं से तरकीरा तैयार किया जाता है। तरकीरा तैयार करने के लिए सबसे पहले गेहूं को पानी में भिगोया जाता है। इसके बाद इन्हें पानी से निकालकर तरकीरा तैयार होता है। तरकीरे को सुखाने के बाद संभालकर रख लिया जाता है। जब कोई त्योहार या शुभ कार्य होता है तो सूखे हुए तरकीरे को दोबारा से भिगोकर उसे गीला किया जाता है। इसके बाद इससे कई प्रकार की कलाकृतियां तैयार की जाती हैं। दिवाली के अवसर पर तरकीरे से माता लक्ष्मी की चरण पादुकाएं, फूल व अन्य तरह की चित्रकला तैयार की जाती है, जो कि देखने में बहुत सुंदर लगती है। इसे जमीन पर तैयार किया जाता है। रेणू शर्मा ने बताया कि इस कला को सहेजने व पीढ़ी-दर-पीढ़ी सिखाने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, ताकि यह कला आने वाले समय में जमाने की चकाचौंध में कहीं गुम न हो जाए। उन्होंने बताया कि स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं उक्त कार्यशाला में भाग लेने के लिए काफी उत्सुक हैं। इस कला को साउथ में अल्पना, पश्चिम बंगाल में अलपोना तथा उत्तराखंड में रंगोली के नाम से जाना जाता है। रेणू शर्मा ने कहा कि कार्यशाला में जो भी भाग लेना चाहता है। वह अधिक जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 98162-20009 पर संपर्क कर सकता है।